Tuesday, December 16, 2008

जूता खाने के बाद बुश का एक्‍सक्‍लूजिव इंटरव्‍यू

पत्रकार- सुना है आप पर जूता फैंका गया है?
बुश - देखिए, मैं अमेरिका का राष्‍ट्रपति हूं। दुनिया के सबसे बेशर्म-कमीने-गलीज़ अपराधियों का सरगना। मुझे इन छोटी-मोटी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
पत्रकार - लेकिन फिर भी क्‍या यह आपके लिए शर्मनाक घटना नहीं है? बुश - अगर शर्म ही करनी होती तो मैं राजनीति में ही क्‍यों आता और वैसे भी मैंने इतना झूठ बोला है, इराक-अफगानिस्‍तान-फिलीस्‍तीन से लेकर दुनिया के हर हिस्‍से में इतने नरसंहार करवाये हैं कि मेरे सामने तो शर्म भी आकर शर्म से डूब मरे। पत्रकार - आप पर जूता क्‍यों फेंका गया? बुश - लोकतंत्र की वजह से। देखिये मुक्‍त समाजों में ही ऐसा संभव है। इससे साबित होता है कि इराक में लोकतंत्र जड़ें जमा चुका है। पत्रकार - क्‍या आपको डर नहीं लग रहा? बुश - (ऑफ द रिकार्ड) सच बताऊं, डर के मारे तो मेरी हालत खराब है लेकिन क्‍या करुं। ये सीट ही ऐसी है, जी कड़ा करके, नॉर्मल दिखने की कोशिश कर रहा हूं।
पत्रकार - आखिरी सवाल, इस घटना का अमेरिका पर क्‍या असर पड़ेगा? बुश - देखिये आजकल पूरी दुनिया में मंदी चल रही है। हमारे देश में सबसे ज्‍यादा हालत पतली है। मैंने इन सड़े जूतों को संभाल कर अपने पास रख लिया है। मैं इन्‍हें अमेरिका ले जाकर फुटवियर उद्योग को बेलआऊट पैकेज में दे दूंगा। हमारी अर्थव्‍यवस्‍था में इनसे थोड़ा सुधार जरूर आएगा। (नोट : यह पत्रकार बिना जूतों के ठंड में कांपते हुए इंटरव्‍यू ले रहा था)