Friday, May 15, 2009

पार्टियों की गजब की मोर्चाबन्‍दी

पहला मोर्चा सबको ललचा रहा है। दूसरा मोर्चा अपने को बांधे रखने की कोशिश कर रहा है, तीसरा मोर्चा हालांकि अभी ठीक से बना नहीं है लेकिन इसके लोग तीसरे मोर्चे को छोड़कर हर किसी से बातें कर रहे हैं, चौथे मोर्चे की हालत पतली है लेकिन अच्‍छी कीमत के लिए पहले मोर्चे को खूब आंखे दिखा रहा है। कुलमिलाकर चारों मोर्चे कम से कम तीन मोर्चों के साथ हैं भी नहीं भी। कोई भी कभी भी किसी के भी साथ लग लेता है। अजब चक्‍कर है। आपको कुछ समझ आया...
आएगा कैसे। यही तो दुनिया के सबसे महान लोकतंत्र की खूबी है।