Wednesday, October 8, 2008

बोलो जय श्री राम ! जय श्री राम !

वैसे तो श्रीराम का टमाटर-आलू-प्याज़ से कोई रिश्ता नज़र नहीं आता लेकिन मैंने सोचा जब भाई लोगों ने श्रीराम को राजनीति से इतना जोड़ दिया है तो उनका टमाटर-आलू-प्याज़ से भी कोई न कोई रिश्ता ज़रूर होगा। हमारे यहाँ वैसे भी श्रीराम बड़े काम आते हैं। जब राजनेताओ को चुनावी गंगा पार करनी होती है तो उन्हें केवट की नहीं श्रीराम की ज़रूरत पड़ती है। वह पॉलिटिक्स के खेवनहार है। कोई संकट आ जाए, महंगाई बढ जाए, जनता जीना हराम कर दे, बस प्रभु श्रीराम को याद करना काफी है। सारे संकट चुटकी बजाते हल हो जायेंगे। आजकल तो श्रीराम के परमभक्त 'बजरंगी' भी राजनेताओं की मदद के लिए साक्षात पृथ्वी पर उतर आए हैं। किसी भी अशोक वाटिका में तोड़-फोड़ मचवानी हो, विरोधियों को हिलाना-डुलाना हो, बजरंगी हाज़िर हैं। खैर आजकल फ़िर से टमाटर बड़े महंगे हो गए हैं। और भी कई चीजे महंगी हो गयी है, सो लगता है अब श्रीराम का जल्द ही पदार्पण होगा। हमारे नेताओं की मिसाल दुनिया में मिलना मुश्किल है। असली-नकली मुद्दों को ऐसे गडमड करते है कि जनता हैरान! असली मुद्दे तो चूहे के बिल में समा जाते है और नकली मुद्दे मच्छर बनके हमारे कान में भनभनाकर जीना हराम कर देते है। हम भी राजनेताओं के पीछे-पीछे नकली मुद्दों यानी मच्छरों को ख़त्म करने के लिए अपनी गत्ते की तलवार लेकर पिल पड़ते है। बहरहाल आज टमाटर लेते वक्त श्रीराम को याद करें और दशहरे के मेले जय श्रीराम के रणभेरी नारों के बीच टमाटर के ताजा भाव को याद करें। बाकि त्यौहार का दिन है हंसिये-हंसायीयें, खाईये-खिलाईये और एक बेहद अचर्चित कवि मनबहकी लाल की ये कविता गुनगुनाईये...

जय श्री राम ! जय श्री राम !

आलू-प्याज़ के इतने दाम?
जय श्री राम ! जय श्री राम !


बच्चा-बच्चा राम का होवे

अपना आपा कभी न खोवे

आसमान छूती महंगाई।
चाहे कर दे काम-तमाम !
बोलो जय श्री राम ! जय श्री राम !

बिना नमक के खाओ भात
प्याज़ तामसी है साक्षात
कूव्वत होय मलीदा चापो
हारे को केवल हरिनाम !
बोलो जय श्री राम ! जय श्री राम !

जपो स्वदेशी ! जपो स्वदेशी !
पूँजी लाओ रोज़ विदेशी !
देशी और विदेशी जोंके
चूसे जनता को ज्यों आम !
बोलो जय श्री राम ! जय श्री राम !

1 comment:

विवेक सिंह said...

वाह वाह ! क्या कहने .