पत्रकार- सुना है आप पर जूता फैंका गया है?
बुश - देखिए, मैं अमेरिका का राष्ट्रपति हूं। दुनिया के सबसे बेशर्म-कमीने-गलीज़ अपराधियों का सरगना। मुझे इन छोटी-मोटी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
पत्रकार - लेकिन फिर भी क्या यह आपके लिए शर्मनाक घटना नहीं है? बुश - अगर शर्म ही करनी होती तो मैं राजनीति में ही क्यों आता और वैसे भी मैंने इतना झूठ बोला है, इराक-अफगानिस्तान-फिलीस्तीन से लेकर दुनिया के हर हिस्से में इतने नरसंहार करवाये हैं कि मेरे सामने तो शर्म भी आकर शर्म से डूब मरे। पत्रकार - आप पर जूता क्यों फेंका गया? बुश - लोकतंत्र की वजह से। देखिये मुक्त समाजों में ही ऐसा संभव है। इससे साबित होता है कि इराक में लोकतंत्र जड़ें जमा चुका है। पत्रकार - क्या आपको डर नहीं लग रहा? बुश - (ऑफ द रिकार्ड) सच बताऊं, डर के मारे तो मेरी हालत खराब है लेकिन क्या करुं। ये सीट ही ऐसी है, जी कड़ा करके, नॉर्मल दिखने की कोशिश कर रहा हूं।
पत्रकार - आखिरी सवाल, इस घटना का अमेरिका पर क्या असर पड़ेगा? बुश - देखिये आजकल पूरी दुनिया में मंदी चल रही है। हमारे देश में सबसे ज्यादा हालत पतली है। मैंने इन सड़े जूतों को संभाल कर अपने पास रख लिया है। मैं इन्हें अमेरिका ले जाकर फुटवियर उद्योग को बेलआऊट पैकेज में दे दूंगा। हमारी अर्थव्यवस्था में इनसे थोड़ा सुधार जरूर आएगा। (नोट : यह पत्रकार बिना जूतों के ठंड में कांपते हुए इंटरव्यू ले रहा था)
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4 comments:
GOOD. NARAYAN NARAYAN
कुछ मेरी ओर से भी
जूता जूता न रहा
जुट गया नाम कमाने
चल दिये देखो जांच बैठाने
प्रश्न जिनके जवाब चाहिये
न हों जवाब तो पूछ सकते हैं
आप भी कुछ सवाल
इन सवालों में सलाहें भी हैं
इन्हें अन्यथा न लें
यह तो सबका जन्मसिद्ध अधिकार है -
1. जूता पत्रकार के पैर का था
2. यदि नहीं, तो किसका था
3. जिसका जूता था, वो सौभाग्यशाली रहा या ...
4. जूता किस कंपनी का था
5. जूता कब खरीदा गया
6. जूते का जोड़ीदार कहां है
7. बिना बिल के खरीदा गया
8. बिल कहां है
9. बिल किस दुकान का था
10. जूते ने अपनी बिरादरी का नाम इतिहास में अमर कर दिया
11. जूते ने प्रेरक का काम किया
12. मुहावरों की दुनिया में नये मुहावरे और लोकोक्तियां रची जायेंगी जूताशाली, जूताजुगाड़ वगैरह
13. नये फिल्मी गाने और पैरोडियां लिखी जायेंगी - बुश को जूता क्यों मारा ...
, जूता है जूता .....,
14. किस्मत कनैक्शन किसका - बुश का या जूते का ...
15. बुश का तो ले लिया, जूते का इंटरव्यू कौन लेगा ...
15. एक आखिरी - किसी ने यह क्यों नहीं कहा कि बुश को बूट क्यों मारा - बूट को जूता ही क्यों कहा गया जबकि बुश की तुक बूट से मिलती है।
यहीं इंटरव्यू बुश का असली इंटरव्यू है। बाकी तो वह जो बोलता है पहले से पढ़े लिखे बाबुओं द्वारा तैयार किया हुआ मैटर होता है। अपराधियों (और हर पूंजीपति एक अपराधी है - यह परिभाषा मेरी नहीं प्रेमचंद की दी हुई है) के इन सरगनाओं के साथ इससे बेहतर सलूक नहीं किया जा सकता।
bahut behtareen, apka interveew bhee aur Avinash ki ghatna ke baad ki jaanch padtal bhee.
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