Thursday, April 30, 2009
लौकी हम भूलेंगे नहीं, कभी नहीं
जेल में अजमल कसाब को मिल रहा है तन्दूरी चिकन और वरुण गांधी को मिली लौकी। साहब भारी अन्याय है यह। देखिए इस देश में अब यह हालत हो गई है। एक आतंकवादी की खातिरदारी की जा रही है और हिन्दुओं की तरफ से बोलने वाले युवा नेता को प्रताड़ित किया जा रहा है। अब यह भी कोई बात है। भई वरुण आम कैदी थोड़े थे जो उन्हें लौकी खिला कर टरका दिया गया। एटा में क्या कुछ और नहीं मिलता था। न, न, आप गलत समझ रहे हैं वरुण तो पक्के शाकाहारी हैं। अलबत्ता अच्छी शाक-सब्जियां भी तो होती हैं। फ्रेंच बीन, ब्रोकोली सबकुछ तो मिलता है हर जगह। पर मायावती के अफसरों को सिर्फ लौकी ही दिखाई दी। अरे और कुछ नहीं तो पनीर तो हर जगह मिल जाता है। अगर एकाध दिन शाही पनीर खिला देते तो यूपी सरकार के खजाने में कौन सी कमी आ जाती। और भई खानपान की आदतों की क्या बात है। अब अगर कोई जापान का आदमी हमारे देश में पकड़ा जाए तो हम उसे मछली थोड़े ही खिलाएगे। खाना है तो दाल रोटी खाओ वरना प्रभु के गुण गाओ। हां, तो वरुण के साथ हुआ यह अन्याय भुलाया नहीं जाएगा। लौकी हम तुझे भूलेंगे नहीं। याद रखेंगे, याद रखेंगे....
Monday, April 20, 2009
शेर को वॉलीवाल के नेट के पीछे देखा है आपने कभी
गुजरात के शेर नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में एक जनसभा में अपना भाषण वॉलीवाल के नेट के पीछे खड़े होकर दिया (वीडियो देखें)। वैसे फिर भी जूता पड़ सकता है इसलिए अपने कारनामों के हिसाब से सर्कस वाला लंबा चौड़ा जाल लगवाते तो सुरक्षा की पक्की गारंटी रहती। भय हो, भय हो, जूते का...
Saturday, April 18, 2009
दिल्ली की एक चुनावी सभा का आंखों देखा हाल
दिल्ली में चुनावी माहौल धीरे-धीरे गरमा रहा है। कल भाजपा की चुनावी सभा दिख गई तो अपने आप कदम उधर ही बढ़ चले। वक्ता आग उगल रहे थे (सुप्रीम कोर्ट के डर से वरुण जितनी नहीं) लेकिन मेरी तो हर बात पर हंसी छूट रही थी। चलिए आपको भी बताता हूं वहां का आंखों देखा हाल...
मंच पर 7-8 सज्जन विराजमान थे। संयोग से कोई भी 80-90 किलो से कम का नहीं था बल्कि कई तो सैकड़ा पार करने का दम रखते थे। जिस समय मैं पहुंचा एक सरदारजी मंच पर वीररस की कविता दहाड़... मेरा मतलब है सुना रहे थे। लगता था फुटपाथ पर बिकने वाली सस्ती शायरी की किताबों से तुकबन्दियां चुरा कर लाये थे। उन्हें रामसेतू से बड़ा लगाव था, बात-बात पर रामसेतू का राग अलाप देते थे। इतनी कर्कश आवाज में चीख रहे थे कि लगता था कि हिन्दुओं पर होने वाले सारे अत्याचार का गुस्सा आज बेचारे माईक पर उतारे दे रहे हैं। उन्हें इसका भी काफी कष्ट था कि लोगों ने राम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया। इसके लिए करुणानिधि जी की बायीं आंख पर भी व्यंग्य करने से नहीं चूके। राम के अस्तित्व पर सवाल के जवाब में उन्होंने जो तर्क दिया उससे बड़े-बड़े नृतत्वशास्त्री भी चारो खाने चित्त हो सकते हैं। उन्होंने अपनी कविता में कहा कि आदमी के बाप का नाम भी तो माथे पर नहीं लिखा होता लेकिन वो किसी को तो अपना बाप कहता ही है ना, फिर राम के होने का सबूत क्यों मांगा जा रहा है। वाह-वाह क्या बात है, मेरी हंसी सुनकर आसपास के लोग मुझे गौर से देखने लगे। इस तर्क पर इस इलाके के लोकसभा प्रत्याशी ने खूब देर तक तालियां बजाईं। जय हो...
इसके बाद कई लोगों ने बात रखी जिसमें यही बात दोहराई गई कि देश को आगे बढ़ाना है, हिन्दुओं का खोया मान-सम्मान वापस लौटाना है, राष्ट्रवाद बढ़ाना है। उम्मीदवार को इलाके के दुकानदारों ने काफी पैसा इकट्ठा करके दिया। लेकिन राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के बीच में एक बनिये ने इस सभा का असली मकसद यानी एजेण्डा एकदम साफ-साफ रख दिया। वह बोला भईया देखो बाकी तो सब बात ठीक है लेकिन सारी चीजें चलती हैं रोजी-रोटी से। हमारी रोजी-रोटी है दुकान। अब मार्केट में लाईट नहीं आएगी, पानी नहीं आएगा, दफ्तरों और थानों में हमारी बात नहीं सुनी जाएगी तो फिर क्या फायदा है किसी के जीतने का? अब तो उम्मीदवार बिछ गये (नोटों की गड्डियां जो मिली थीं) कि आधी रात को आप लोगों की सेवा में हाजिर रहूंगा। इसके बाद नारेबाजी थोड़ी ही हुई(चूंकि नारे लगवाने वाले सज्जन अपनी तोंद से खासे परेशान दिख रहे थे) लिहाजा हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद बचाने के आह्वान के साथ सभा जल्दी से समाप्त कर दी गयी।
मंच पर 7-8 सज्जन विराजमान थे। संयोग से कोई भी 80-90 किलो से कम का नहीं था बल्कि कई तो सैकड़ा पार करने का दम रखते थे। जिस समय मैं पहुंचा एक सरदारजी मंच पर वीररस की कविता दहाड़... मेरा मतलब है सुना रहे थे। लगता था फुटपाथ पर बिकने वाली सस्ती शायरी की किताबों से तुकबन्दियां चुरा कर लाये थे। उन्हें रामसेतू से बड़ा लगाव था, बात-बात पर रामसेतू का राग अलाप देते थे। इतनी कर्कश आवाज में चीख रहे थे कि लगता था कि हिन्दुओं पर होने वाले सारे अत्याचार का गुस्सा आज बेचारे माईक पर उतारे दे रहे हैं। उन्हें इसका भी काफी कष्ट था कि लोगों ने राम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया। इसके लिए करुणानिधि जी की बायीं आंख पर भी व्यंग्य करने से नहीं चूके। राम के अस्तित्व पर सवाल के जवाब में उन्होंने जो तर्क दिया उससे बड़े-बड़े नृतत्वशास्त्री भी चारो खाने चित्त हो सकते हैं। उन्होंने अपनी कविता में कहा कि आदमी के बाप का नाम भी तो माथे पर नहीं लिखा होता लेकिन वो किसी को तो अपना बाप कहता ही है ना, फिर राम के होने का सबूत क्यों मांगा जा रहा है। वाह-वाह क्या बात है, मेरी हंसी सुनकर आसपास के लोग मुझे गौर से देखने लगे। इस तर्क पर इस इलाके के लोकसभा प्रत्याशी ने खूब देर तक तालियां बजाईं। जय हो...
इसके बाद कई लोगों ने बात रखी जिसमें यही बात दोहराई गई कि देश को आगे बढ़ाना है, हिन्दुओं का खोया मान-सम्मान वापस लौटाना है, राष्ट्रवाद बढ़ाना है। उम्मीदवार को इलाके के दुकानदारों ने काफी पैसा इकट्ठा करके दिया। लेकिन राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के बीच में एक बनिये ने इस सभा का असली मकसद यानी एजेण्डा एकदम साफ-साफ रख दिया। वह बोला भईया देखो बाकी तो सब बात ठीक है लेकिन सारी चीजें चलती हैं रोजी-रोटी से। हमारी रोजी-रोटी है दुकान। अब मार्केट में लाईट नहीं आएगी, पानी नहीं आएगा, दफ्तरों और थानों में हमारी बात नहीं सुनी जाएगी तो फिर क्या फायदा है किसी के जीतने का? अब तो उम्मीदवार बिछ गये (नोटों की गड्डियां जो मिली थीं) कि आधी रात को आप लोगों की सेवा में हाजिर रहूंगा। इसके बाद नारेबाजी थोड़ी ही हुई(चूंकि नारे लगवाने वाले सज्जन अपनी तोंद से खासे परेशान दिख रहे थे) लिहाजा हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद बचाने के आह्वान के साथ सभा जल्दी से समाप्त कर दी गयी।
Tuesday, April 14, 2009
अरे भई ऐसे कैसे होगी संस्कृति की रक्षा।
कर्नाटक के ''लौह'' गृहमंत्री हैं वी.एस. आचार्य। मैंगलौर पब हमले पर संस्कृति की रक्षा पर काफी दहाड़ लगायी थी। लेकिन कल एक कार्यक्रम में सर पर पांव रखकर ऐसा भागे कि लोगों को सिर्फ धूल उड़ती दिखाई दी। धूल बैठी तो मंत्रीजी गायब। बेचारे उनके सुरक्षाकर्मी भी हैरान-परेशान। बाद में उस सभा के आयोजकों ने उन्हें वाहन में बैठाकर मंत्रीजी तक पहुंचाया।
दरअसल चुनावों की मारामारी में एसी कक्षों के आदी नेता पहले ही काफी परेशान हैं। इसी हालत में आचार्यजी भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करने निकले तो रास्ते में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक को गलती से अपनी बैठक समझ बैठे। खैर कांग्रेस वालों ने आदर-सत्कार किया, पानी पिलाया, कुर्सी दी। फिर मंत्रीजी ने अपना राग अलापना शुरू किया। अपनी उपलब्धियां गिनाने लगे तो कांग्रेसी धैर्यपूर्वक सुनते रहे, लेकिन जब कांग्रेस की बखिया उधेड़ने लगे तो कांग्रेसियों का भी आदिम गुंडा खून खौल गया। उसके बाद तो मंत्रीजी हक्के-बक्के। कुछ न सूझा तो बस सरपट भाग चले। कर्नाटक के नौजवान लड़के-लड़कियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ आग उगलने वाले माननीय गृहमंत्रीजी ऐसा भागे कि अपने सुरक्षाकर्मियों तक को छोड़ गये। गृहमंत्री अपनी सेनाओं और दलों की फौज से इक्का-दुक्का नौजवानों को तो धमका सकते हैं पर अपने बराबर के गुंडों के सामने एक सेकेंड भी नहीं टिक पाये। अरे भई ऐसे कैसे होगी संस्कृति की रक्षा।
दरअसल चुनावों की मारामारी में एसी कक्षों के आदी नेता पहले ही काफी परेशान हैं। इसी हालत में आचार्यजी भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करने निकले तो रास्ते में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक को गलती से अपनी बैठक समझ बैठे। खैर कांग्रेस वालों ने आदर-सत्कार किया, पानी पिलाया, कुर्सी दी। फिर मंत्रीजी ने अपना राग अलापना शुरू किया। अपनी उपलब्धियां गिनाने लगे तो कांग्रेसी धैर्यपूर्वक सुनते रहे, लेकिन जब कांग्रेस की बखिया उधेड़ने लगे तो कांग्रेसियों का भी आदिम गुंडा खून खौल गया। उसके बाद तो मंत्रीजी हक्के-बक्के। कुछ न सूझा तो बस सरपट भाग चले। कर्नाटक के नौजवान लड़के-लड़कियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ आग उगलने वाले माननीय गृहमंत्रीजी ऐसा भागे कि अपने सुरक्षाकर्मियों तक को छोड़ गये। गृहमंत्री अपनी सेनाओं और दलों की फौज से इक्का-दुक्का नौजवानों को तो धमका सकते हैं पर अपने बराबर के गुंडों के सामने एक सेकेंड भी नहीं टिक पाये। अरे भई ऐसे कैसे होगी संस्कृति की रक्षा।
Wednesday, April 1, 2009
विश्व के शीर्ष नेताओं ने गूगल से ब्लॉगर सेवा को बंद करने का अनुरोध किया
इंग्लैंड में जुटे दुनिया के शीर्ष जी-20 देशों के नेताओं ने पहले दिन एक स्वर से गूगल की ब्लॉगर सेवा बंद करने पर सहमति जतायी। पता चला है कि पहले ही दिन की बैठक में अचानक यह मसला बातचीत के केंद्र में आ गया। चीन ने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि ब्लॉग लेखन के जरिए उसके देश में दुष्प्रचार (मानवाधिकारों के हनन का) किया जा रहा है। इससे सरकार के कामकाज और उसकी आलोचना भी लोगों के बीच तेजी से फैलती जा रही है। ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा कि उनके देश में बेरोजगारों ने ब्लॉग के जरिए सरकार विरोधी अभियान चला रखा है। भारत के प्रधानमंत्री ने भी इस मसले पर सहमति जताते हुए कहा कि उनके यहां राजनीतिक विरोधियों (जैसे छत्तीसगढ़ में एक डॉक्टर आदि) को जेल में ठूंसने के खिलाफ ब्लॉग के जरिए प्रचार किया गया। साथ ही नेताओं, मीडिया संस्थानों/दिग्गजों, राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ ब्लॉग पर जमकर लिखा और पढ़ा जा रहा है। उन्होंने भारत के शीर्ष हिन्दी अखबार की महिला संपादक समेत न्यायपालिका के शीर्ष निकायों द्वारा हाल ही में ब्लॉग के बढ़ते खतरे की चिंताओं का जिक्र भी किया। तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि कई देशों में ब्लॉगरों ने ईशनिंदा या धार्मिक कट्टरता के खिलाफ बोलने के लिए ही ब्लॉग का सहारा लिया। लगभग सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने एक स्वर में चिंता जताई कि ब्लॉग के जरिए बिना कोई पैसा खर्च किए आम लोगों को अपनी बात रखने का औजार दे देना चिंतनीय बात है। इससे लोगों को सरकार, नेताओं, अधिकारियों, पार्टियों, धार्मिक नेताओं (और धर्म पर टिकी चुनावी पार्टियों) के खिलाफ अपनी आवाज उठाने का मौका मिलेगा जो मौजूदा वर्ल्ड सोशल आर्डर (विश्व सामाजिक व्यवस्था) के लिए सही नहीं है। सबसे अंत में ओबामा ने इस पूरे मुद्दे को अमेरिका का पुरजोर समर्थन देते हुए कहा कि ब्लॉग ने अमेरिकी प्रशासन के लिए भी मुसीबत खड़ी की हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि बुश पर इराक में जूता फेंकने की घटना ब्लॉग के जरिए ही चंद मिनटों में दुनिया भर में पहुंच गई थी। उन्होंने कहा कि अमेरिका इराक की भांति दुनिया भर में लोकतंत्र स्थापित करने के अपने मिशन में जुटा रहेगा, इसलिए ऐसी घटनाएं भविष्य में हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि अब ऐसे संचार साधनों पर लगाम कसी जाए जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी दिखा देने को आजाद हैं। उन्होंने कहा कि वे जी-20 के नेताओं की भावना से गूगल कंपनी को वाकिफ कराएंगे और उनसे ब्लॉगर सेवा तत्काल बंद करने को कहेंगे।
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