Saturday, April 18, 2009

दिल्‍ली की एक चुनावी सभा का आंखों देखा हाल

दिल्‍ली में चुनावी माहौल धीरे-धीरे गरमा रहा है। कल भाजपा की चुनावी सभा दिख गई तो अपने आप कदम उधर ही बढ़ चले। वक्‍ता आग उगल रहे थे (सुप्रीम कोर्ट के डर से वरुण जितनी नहीं) लेकिन मेरी तो हर बात पर हंसी छूट रही थी। चलिए आपको भी बताता हूं वहां का आंखों देखा हाल...
मंच पर 7-8 सज्‍जन विराजमान थे। संयोग से कोई भी 80-90 किलो से कम का नहीं था बल्कि कई तो सैकड़ा पार करने का दम रखते थे। जिस समय मैं पहुंचा एक सरदारजी मंच पर वीररस की कविता दहाड़... मेरा मतलब है सुना रहे थे। लगता था फुटपाथ पर बिकने वाली सस्‍ती शायरी की किताबों से तुकबन्दियां चुरा कर लाये थे। उन्‍हें रामसेतू से बड़ा लगाव था, बा‍त-बात पर रामसेतू का राग अलाप देते थे। इतनी कर्कश आवाज में चीख रहे थे कि लगता था कि हिन्‍दुओं पर होने वाले सारे अत्‍याचार का गुस्‍सा आज बेचारे माईक पर उतारे दे रहे हैं। उन्‍हें इसका भी काफी कष्‍ट था कि लोगों ने राम के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया। इसके लिए करुणानिधि जी की बायीं आंख पर भी व्‍यंग्‍य करने से नहीं चूके। राम के अस्तित्‍व पर सवाल के जवाब में उन्‍होंने जो तर्क दिया उससे बड़े-बड़े नृतत्‍वशास्‍त्री भी चारो खाने चित्त हो सकते हैं। उन्‍होंने अपनी कविता में कहा कि आदमी के बाप का नाम भी तो माथे पर नहीं लिखा होता लेकिन वो किसी को तो अपना बाप कहता ही है ना, फिर राम के होने का सबूत क्‍यों मांगा जा रहा है। वाह-वाह क्‍या बात है, मेरी हंसी सुनकर आसपास के लोग मुझे गौर से देखने लगे। इस तर्क पर इस इलाके के लोकसभा प्रत्‍याशी ने खूब देर तक तालियां बजाईं। जय हो...
इसके बाद कई लोगों ने बात रखी जिसमें यही बात दोहराई गई कि देश को आगे बढ़ाना है, हिन्‍दुओं का खोया मान-सम्‍मान वापस लौटाना है, राष्‍ट्रवाद बढ़ाना है। उम्‍मीदवार को इलाके के दुकानदारों ने काफी पैसा इकट्ठा करके दिया। लेकिन राष्‍ट्रवाद और हिन्‍दुत्‍व के बीच में एक बनिये ने इस सभा का असली मकसद यानी एजेण्‍डा एकदम साफ-साफ रख दिया। वह बोला भईया देखो बाकी तो सब बात ठीक है लेकिन सारी चीजें चलती हैं रोजी-रोटी से। हमारी रोजी-रोटी है दुकान। अब मार्केट में लाईट नहीं आएगी, पानी नहीं आएगा, दफ्तरों और थानों में हमारी बात नहीं सुनी जाएगी तो फिर क्‍या फायदा है किसी के जीतने का? अब तो उम्‍मीदवार बिछ गये (नोटों की गड्डियां जो मिली थीं) कि आधी रात को आप लोगों की सेवा में हाजिर रहूंगा। इसके बाद नारेबाजी थोड़ी ही हुई(चूंकि नारे लगवाने वाले सज्‍जन अपनी तोंद से खासे परेशान दिख रहे थे) लिहाजा हिन्‍दुत्‍व और राष्‍ट्रवाद बचाने के आह्वान के साथ सभा जल्‍दी से समाप्‍त कर दी गयी।

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