कर्नाटक के ''लौह'' गृहमंत्री हैं वी.एस. आचार्य। मैंगलौर पब हमले पर संस्कृति की रक्षा पर काफी दहाड़ लगायी थी। लेकिन कल एक कार्यक्रम में सर पर पांव रखकर ऐसा भागे कि लोगों को सिर्फ धूल उड़ती दिखाई दी। धूल बैठी तो मंत्रीजी गायब। बेचारे उनके सुरक्षाकर्मी भी हैरान-परेशान। बाद में उस सभा के आयोजकों ने उन्हें वाहन में बैठाकर मंत्रीजी तक पहुंचाया।
दरअसल चुनावों की मारामारी में एसी कक्षों के आदी नेता पहले ही काफी परेशान हैं। इसी हालत में आचार्यजी भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करने निकले तो रास्ते में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक को गलती से अपनी बैठक समझ बैठे। खैर कांग्रेस वालों ने आदर-सत्कार किया, पानी पिलाया, कुर्सी दी। फिर मंत्रीजी ने अपना राग अलापना शुरू किया। अपनी उपलब्धियां गिनाने लगे तो कांग्रेसी धैर्यपूर्वक सुनते रहे, लेकिन जब कांग्रेस की बखिया उधेड़ने लगे तो कांग्रेसियों का भी आदिम गुंडा खून खौल गया। उसके बाद तो मंत्रीजी हक्के-बक्के। कुछ न सूझा तो बस सरपट भाग चले। कर्नाटक के नौजवान लड़के-लड़कियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ आग उगलने वाले माननीय गृहमंत्रीजी ऐसा भागे कि अपने सुरक्षाकर्मियों तक को छोड़ गये। गृहमंत्री अपनी सेनाओं और दलों की फौज से इक्का-दुक्का नौजवानों को तो धमका सकते हैं पर अपने बराबर के गुंडों के सामने एक सेकेंड भी नहीं टिक पाये। अरे भई ऐसे कैसे होगी संस्कृति की रक्षा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
waah kyaa khabar dee hae aap ne
bahut badhiya
ama ye confusin to honee hee thee, kambakht itne saare dal , itne saare nete aur itnaa sara prachaar, bechare netajee apnee rakshaa karte ya sanskriti kee .
"भाषण मारने में किसी का क्या जाता है!" - अब तक तो नहीं जाता था। लेकिन जब से जरनैल सिंह का छित्तर चला है, तब से भाषण देना खतरे से खाली नहीं है। जो विरोधी पार्टी की रैली से भाग खड़ा हुआ वह लोगों की क्या रक्षा करेगा?
Post a Comment