Thursday, July 2, 2009

लिब्राहन रिपोर्ट पर कुछ स्‍वीकारोक्तियां

- मैंने ढांचा तोड़ने के लिए नहीं कहा था।
- मैंने भी नहीं कहा था।
- मैंने भड़काऊ भाषण दिया था पर कहा मैंने भी नहीं था।
- अजी, मैं तो जेल भी हो आया। पर कहा मैंने भी नहीं था।
- उस वक्‍त हालात पर हमारा नियंत्रण नहीं था।
- कार्यकर्ता बेकाबू हो गये थे जनाब।
- देखिए, मैं तो उस वक्‍त रो रहा था।
- ये कांग्रेस की साजिश है।
- गड़े मुर्दे उखाड़ने से कुछ नहीं मिलेगा।
- उस समय जो हुआ वह जनभावनाएं थीं।
- वह एक दुर्भाग्‍यशाली पल था।
- अतीत को भुला दिया जाना चाहिए।
- अरे महाराज, पांच साल कुर्सी तक तो पहुंचा दिया उस ढांचे ने। अब छोड़ि‍ए भी।

2 comments:

काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said...

अभी तो बहुत कुछ बाकी है इस विषय पर लिखने के लिये...आपने बहुत छोटे मे बात कही है.....

मैं अभी तो सब कुछ देख रहा हूं....अन्त मे लिखुगां

Ek ziddi dhun said...

ji, election ayega to hum uchh aur bolenge...