- मैंने ढांचा तोड़ने के लिए नहीं कहा था।
- मैंने भी नहीं कहा था।
- मैंने भड़काऊ भाषण दिया था पर कहा मैंने भी नहीं था।
- अजी, मैं तो जेल भी हो आया। पर कहा मैंने भी नहीं था।
- उस वक्त हालात पर हमारा नियंत्रण नहीं था।
- कार्यकर्ता बेकाबू हो गये थे जनाब।
- देखिए, मैं तो उस वक्त रो रहा था।
- ये कांग्रेस की साजिश है।
- गड़े मुर्दे उखाड़ने से कुछ नहीं मिलेगा।
- उस समय जो हुआ वह जनभावनाएं थीं।
- वह एक दुर्भाग्यशाली पल था।
- अतीत को भुला दिया जाना चाहिए।
- अरे महाराज, पांच साल कुर्सी तक तो पहुंचा दिया उस ढांचे ने। अब छोड़िए भी।
Thursday, July 2, 2009
लिब्राहन रिपोर्ट पर कुछ स्वीकारोक्तियां
Labels:
Babri Demolition,
BJP,
Librahan Commission,
बाबरी विध्वंस,
भाजपा,
लिब्राहन आयोग
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
अभी तो बहुत कुछ बाकी है इस विषय पर लिखने के लिये...आपने बहुत छोटे मे बात कही है.....
मैं अभी तो सब कुछ देख रहा हूं....अन्त मे लिखुगां
ji, election ayega to hum uchh aur bolenge...
Post a Comment