Wednesday, September 17, 2008

बोलीविया में गरीब-अमीर आमने-सामने

लैटिन अमेरिका का छोटा देश बोलीविया आजकल एक शानदार रंगमंच बन चुका हैं। समाज की दो विरोधी ताकतें वहां आमने-सामने हैं। प्राकृतिक गैस बहुल चार प्रान्तों के गवर्नरों ने चुनी हुई मोरालेस की सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह कर दिया हैं। दरअसल मोरालेस वहां के मूल गरीब निवासियों के प्रतिनीधि के तौर पर चुनाव जीत कर आए थे। वे ख़ुद भी एक किसान ही हैं। वहां भूमी-सुधार के तहत भूमिहीन लोगों को खाली पड़ी ज़मीन देने का कानून लागू होने जा रहा हैं जो वहां के अमीर किसानो को पसंद नहीं। वैसे भी मोरालेस और उनकी पार्टी वहां के पूंजीपतियों-नौकरशाहों,कुलक फार्मरों और उनके सरपरस्त अमेरिका को फूटी आँख नहीं सुहाती। सो अमेरिका के इशारे पर चार प्रान्तों के गवर्नरों ने हाईवे जाम कर दिया उनके हथियारबंद समर्थकों ने ताज़ा सुचना मिलने तक ३० गरीब किसानों को 'सबक' सिखा दिया हैं। इतिहास अपने को दोहराता हैं लेकिन ज्यादा उन्नत धरातल पर। खाते-पीते वर्ग से कुछ छिनना सिर्फ़ संसद के ज़रिये, बिना प्रतिरोध की ताक़त जुटाए हमेशा असफल रहता हैं। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा की बोलीविया की आम जनता इस चुनोती का सामना इतिहास से सबक लेते हूए कर पायेगी या नहीं। आने वाले कुछ दिन इस देश के इतिहास के सबसे उथल-पुथल वाले होंगे इसमे कोई शक नहीं हैं।

8 comments:

naveen prakash said...
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naveen prakash said...

Kapil bhai apka prayas aur blog dono acchhe lage. Kripya ise nirantar jaari rakhiyega.

Bolivia ki ghatna se pata chalta hai ki bina kranti ke parivartan sambhav hi nahi.

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.

Shastri JC Philip said...

एक अनुरोध -- कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन का झंझट हटा दें. इससे आप जितना सोचते हैं उतना फायदा नहीं होता है, बल्कि समर्पित पाठकों/टिप्पणीकारों को अनावश्यक परेशानी होती है. हिन्दी के वरिष्ठ चिट्ठाकारों में कोई भी वर्ड वेरिफिकेशन का प्रयोग नहीं करता है, जो इस बात का सूचक है कि यह एक जरूरी बात नहीं है.

शोभा said...

बहुत अच्छा लिखा है. स्वागत है आपका.

संदीप said...

आपने लैटिन अमेरिका के छोटे देश की सामाजिक हलचल की अच्‍छी और आलोचनात्‍मक जानकारी दी है, इसी तरह की जानकारियां निरंतर देते रहिएगा

شہروز said...

boliviya ke bare jankar achcha laga.
इक बेचैनी है, इक छटपटाहट है aapke अन्दर.
और इसे अभिव्यक्त करने का आपका प्रयास अच्छा है.
लिखना ही हमें आशा बंधाता है, इक नए सवेरे का.

कभी फ़ुर्सत मिले तो मेरे भी दिनरात देख लें.link है:

http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com
http://saajha-sarokaar.blogspot.com
http://hamzabaan.blogspot.com

kar lo duniya muththee me said...

बहुत सटीक लिखा है हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है निरंतरता की चाहत है समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें