Friday, September 19, 2008
बजरंग दल पर भी रोक लगनी चाहिए
ज्यादातर आतंकी संगठन छुपकर अपना काम करते हैं लेकिन हमारे देश में एक संगठन खुलेआम आतंकी कामों को अंजाम दे रहा है। इंसानियत का खून करने वाले इस संगठन के बारे में अभी भी सही तस्वीर लोगों तक नहीं पहुँची है। यह सही मौका हैं कि बजरंग दल के काले कारनामों का कच्चा-चिटठा खोला जाए और उसके हत्यारे चेहरे को देश के सामने उजागर किया जाए। हम लोगों को जानना चाहिए कि धर्म की रक्षा के नाम पर यह संगठन खून बहाने में किसी सिमी या लाश्कारेतैय्ब्बा से कम नहीं हैं। पिछले महीने की २४ तारीख को कानपुर में एक प्राईवेट हॉस्टल के कमरे में विस्फोटक पदार्थ तैयार करते हुए दो लोगों के चीथड़े उड़ गए थे और दो छात्र घायल हो गए थे। पुलिस को कमरे से भारी मात्रा में विस्फोटक, हैण्ड ग्रेनेड, बने-अधबने बम, टाइम डिवाइस और डेटोनेटर समेत बम बनाने का काफी सामान मिला था। मारे गए लोगों में से एक भूपेंद्र सिंह कानपुर शहर में बजरंग दल का पूर्व नगर संयोजक था। आईजी एस एन सिंह ने साफ़ कहा कि टाइम डिवाइस मिलना इस बात का पुक्ता सबूत हैं कि विस्फोट करके सूबे में तबाही मचाने की बहुत बड़ी योजना थी। (२५ अगस्त, २००८-अमर उजाला) इस घटना ने सनसनी मचा दी हालाँकि बजरंग दल के इतिहास और विचारधारा को करीब से जानने वालों के लिए इसमे कोई आश्चर्य की बात नहीं थी। इस घटना की सीबीआई जाँच की मांग मुख्यमंत्री मायावती ने खारिज कर दी। इस घटना की उच्चस्तरीय जाँच अगर ईमानदारी से करवाई जाए तो और कई राज भी खुल सकते हैं। दो साल पहले भी महाराष्ट्र के नांदेड में भी बजरंग दल के एक कार्यकर्ता के घर बम बनाते हुए दो कार्यकर्ता मारे गए थे और तीन ज़ख्मी हुए थे। नांदेड के आईजी के अनुसार मोके से ज़िंदा पाइप बम हुए थे और चिंता की बात यह थी कि ज़िंदा बम आईईडी किस्म के थे जिसे रिमोट कंट्रोल से संचालित किया जा सकता हैं। सभी मृतक और आरोपी बजरंग दल के सक्रीय कार्यकर्ता थे। (९ अप्रैल २००६, मिडडे और १० अप्रैल, २००६, दी टेलीग्राफ) । यह घटनाये पुख्ता सबूत हैं कि यह संगठन हिंसक और आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न हैं। १९९९ में ऑस्ट्रलियाई पादरी ग्राहम स्टांस और उनके दो छोटे बच्चों को जिंदा ज़लाने से लेकर गुजरात में व्यापक रूप से नरसंहार को अंजाम देने का कारनामे इसी संगठन के नाम हैं। इस संगठन की घटिया और गैर इंसानी मानसिकता का पता तहलका के स्टिंग ओपरेशन से सामने आ चुका हैं जिसमे बाबु बजरंगी नामक दंगों के मुख्य आरोपी ने बेशर्मी के साथ की गयी हत्याओं का वीभत्स वर्णन किया हैं। उसने दो पत्रकारों को मारने की बात भी कैमरे के सामने कबूली थी। कभी पत्रकारों-कलाकारों को पीटना तो कभी पार्क में लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर मारना भी इसके "कर्तव्यों" में शामिल हैं। किसी भी समाज के लिए नफरत और हिंसा की राजनीति करने वाले ऐसे संगठन बहुत बड़ा खतरा हैं। पता नहीं केन्द्र सरकार को इस संगठन को प्रतिबंधित करने के लिए और कितने सबूतों के ज़रूरत है?
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1 comment:
bajrang dal jaise sangathano ki sahi tasvir dikhane ke liye aapka bahut bahut dhanyavad. wakaee in logo ne samaj ko madhyaugin samay me la kar khara kar diya hai.
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