Friday, November 14, 2008
सिर्फ़ १७ लाख में शंकराचार्य बनिये!
बाबाओं-महन्तों के प्रातिनिधिक उदाहरण के तौर पर अमृतानंद सरस्वती सामने आया है। जम्मू पीठ के शंकराचार्य स्वामी अमृतानंद सरस्वती उर्फ सुधाकर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडेय उर्फ अमृतेश तिवारी का पैतृक घर देवरिया का अगस्तपार गांव है। यह आदमी एयरफोर्स में काम करता था। चाल-चलन ठीक न होने पर नौकरी छूट गयी। बेरोजगार होकर घूमते-घूमते समझ में आया कि सबसे अच्छा धन्धा तो बाबागीरी का है। इन महाशय को पता चला कि बनारस में शंकराचार्य बनाने की 'फैक्ट्री' चलती है। पूछताछ में काशी युवा विद्वत परिषद ने शंकराचार्य बनाने की फीस 17 लाख रूपये बतायी। जुटा कर पैसे दिये और बन गये जम्मू के शंकराचार्य। अब क्या उंगलियां घी में और सर....। चेन स्मोकिंग करने वाले स्वामीजी ने दो विवाह किये। मालेगांव धमाके के सिलसिले में अंदर जाने के बाद इनका कच्चा-चिट्ठा सामने आता ही जा रहा है। ऐसे ही लोगों के मजबूत कन्धों पर ''हिन्दुत्व'' को बचाने और फैलाने की जिम्मेदारी है। पता नहीं इतनी उठापठक, हाय-तौबा धूम-धड़ाम के बावजूद इस देश के लोग ''हिन्दुत्व'' के चक्कर-चपेट में क्यों नहीं आते हैं।
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5 comments:
जब शंकराचार्य ऐसे बनेंगे तो फ़िर वो काम कैसे अच्छे कर सकते हैं. वैसे काशी विद्वत परिषद् को शंकराचार्यी बांटने का अधिकार कहाँ से मिला है ?
शुक्रिया इस जानकारी के लिए।
कोई बेबकूफ ही होगा जो इतना पैसा खर्च करेगा
इससे तो अच्छा है कि बिना पढे चाहे गवांर जाहिल भी हो तो भी मौलवी बन जाओ. अरब देशों से पैसे की भरमार. कांग्रेसी और समाजवादी दलालों कलालों और चाराचोर भी आपकी सुरक्षा करेंगे. चाहे संसद पर हमला करो चाहे सफदर नागौरी जैसे इस्लामिक आतंकवादी बनो, कोई भी कुछ नहीं कहेगा. शादियां भी दो के बजाय जायज तरीके से चार और नाजायज तरीके से जितनी मन चाहे.
अगर खुदा न करे पकड़े भी गये तो भी देशद्रोही सेकूलरिये इस्लामिक आतंकवादियों का पक्ष लेकर अल्ला अल्ला करना शुरू कर देंगे. उस पर भी बात न बने तो मानवाधिकार के नाम पर हल्लेबाज मिल जायेंगे. हमारे देश में जयचदों की कमी नहीं है सो साथ देने के लिये पैसा लोभी हिन्दू भी मिल जायेंगे.
तो शंकराचार्य बनना तो घाटे का सौदा है, अगर देश बेचने की कुव्वत है तो मुल्ला मौलवी बनो भाई.
कोई बेबकूफ ही होगा जो इतना पैसा खर्च करेगा
इससे तो अच्छा है कि बिना पढे चाहे गवांर जाहिल भी हो तो भी मौलवी बन जाओ. अरब देशों से पैसे की भरमार. कांग्रेसी और समाजवादी दलालों कलालों और चाराचोर भी आपकी सुरक्षा करेंगे. चाहे संसद पर हमला करो चाहे सफदर नागौरी जैसे इस्लामिक आतंकवादी बनो, कोई भी कुछ नहीं कहेगा. शादियां भी दो के बजाय जायज तरीके से चार और नाजायज तरीके से जितनी मन चाहे.
अगर खुदा न करे पकड़े भी गये तो भी देशद्रोही सेकूलरिये इस्लामिक आतंकवादियों का पक्ष लेकर अल्ला अल्ला करना शुरू कर देंगे. उस पर भी बात न बने तो मानवाधिकार के नाम पर हल्लेबाज मिल जायेंगे. हमारे देश में जयचदों की कमी नहीं है सो साथ देने के लिये पैसा लोभी हिन्दू भी मिल जायेंगे.
तो शंकराचार्य बनना तो घाटे का सौदा है, अगर देश बेचने की कुव्वत है तो मुल्ला मौलवी बनो भाई.
सूमो से सहमत, शंकराचार्य बनकर क्या फ़ायदा जब पुलिस जब चाहे उठा ले चाहे असली वाले कांची कामकोटि के ही क्यों न हों, उसकी बजाय दिल्ली की जामा मस्जिद का इमाम बनना फ़ायदे का सौदा है, चाहे कितने ही गैर-जमानती वारंट पड़े धूल खा रहे हों, कोई हाथ नहीं लगा सकता… और फ़िर साथ देने के लिये बुद्धिजीवी, सेकुलर, पत्रकार, ब्लॉगर सभी हैं…
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