कल एक पोस्ट पर इंडिया टीवी का कारनामा दिखाई पड़ा। भारतीय टीवी पत्रकारिता में इंडिया टीवी का ऐतिहासिक महत्व है। नुक्कड़-चौराहों पर बिकने वाली सस्ती मैगजीनों के र्शीषक को जिस खूबसूरती से इस टीवी ने खबर की शक्ल दी है, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। इसने आम लोगों की बोलचाल और लड़ाई-झगड़े की भाषा को पहली बार टीवी पर जगह दी। दिन-रात तालिबान से लेकर पाकिस्तान को जितना उसने हड़काया है इतना तो शायद बुश या ओबामा ने भी बेचारे पाकिस्तानियों को क्या हड़काया होगा। इसके तेवरों से तो यूपीए सरकार की विदेश नीति भी सहम गई है। ये इसी टीवी का कमाल है कि भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र के प्राचीन भारतीय ज्ञान को टीवी पर पेश किया गया। वैसे इस टीवी की ज्यादातर खबरें खबरें होती ही नहीं है, मतलब ज्यादातर एक्सक्लूजिव खबरें होती हैं। अभी माइकल जैक्सन की मौत पर खबर आई कि उसका पुनर्जन्म हो चुका है। फिर खबर आई कि माइकल नहीं उसका हमशक्ल मारा गया है। ऐसी कल्पनाशक्ति किसी भारतीय टीवी चैनल हो तो मुकाबला कर लें। बहरहाल इंडिया टीवी के बारे में चंद लाइनें पेश हैं इंडिया टीवी की ही शैली में। (आवाज की शैली ध्यान में रखकर इसका पठन-पाठन किया जाए)।
खबरदार इंडिया टीवी!
सनसनी मत फैलाओ!
टीवी दर्शकों का उल्लू मत बनाओ!
भारतीय दर्शक अब जाग रहा है!
होश में आओ इंडिया टीवी!
क्या इंडिया टीवी फिल्मी कलियां को पीछे छोड़ सकता है!
जानिए आज रात 11.30 बजे!
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4 comments:
वैसे था क्या उस खबर में जिसकी लम्बाई बताई जा रही थी/
आपसे पूरी तरह सहमत हूँ। इस तरह का चैनल न ही रहे तो अच्छा।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सर,आप ठीक बात कह रहे है.आपसे पूरी तरह सहमत हूँ।
"हिन्दीकुंज"
इण्डिया टीवी शायद हेरी पोटर की सफलता से प्रेरित है। वो भी उसी अंदाज में प्रतिदिन सनसनी फैलाते हुए समाचार गढता है। आपने अच्छा व्यंग्य किया है। बधाई
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